(लीला छंद)
आघु कथा कहय सूत । कृश्ण माया अवधूत
जब कृश्ण गर्भ बचाय । उत्तरा माथ नवाय
जानय कृश्ण उपकार । पाण्डव करय जयकार
कुन्ती माथा नवाय । हाथ जोड़ स्तुति सुनाय
हे आदि पुरूश सुजान । हे भगतन के मितान
घट-घट मा तोर वास । चराचर तोर उजास
अंदर बाहिर समान । तहीं रहिथस भगवान
अंधियारी मन घूप । जानय ना तोर रूप
जानय ना तोर गेह । आँखी जे हमर देह
तोर भाखा भगवान । सुन सकय न हमर कान
कर्ता तहीं हस एक । सब काम करथस नेक
कठपुतली हमन आन । डोरी रखे तैं तान
जइसे मनखे गवार । नट के पावय न पार
जोकड़ जब करय साज । जनाय न ओखर राज
अइसे तोर पहिचान । जानेंव ना भगवान
मैं अबला नारि जात । कइसे ये पार पात
जय जय हे वासुदेव । तोरे मैं करँव सेव
तोरे माया कमाल । ब्रम्हा होय नाभि नाल
मनभावन रूप तोर । तहीं हस अपने जोर
टोटा मा कमल हार । देखते रहँव निहार
आँखी जस कमल नील । दया के सागर झील
तोर पॉंव कमल छाप । मेटय सबो परिताप
घेरी-घेरी प्रणाम । हे प्रभु मधुसुदन ष्याम
मारे तैं दुश्ट कंस । मेट वासुदेव दंष
देवकी पीर मिटाय । कंस कैद ले छुड़ाय
पाण्डव मन ला बचाय । हमरे स्वामी कहाय
आप सर्वषक्तिमान । कइसे होवय बखान
भीम जहर ले बचाय । आगी ला तैं बुताय
द्रोपदी लाज बचाय । महभारत तैं जिताय
परिक्षित प्राण बचाय । हमर सबो दुख मिटाय
दुख रहय आवत जात । उठे रहय तोर हाथ
तोर दरष हे अमोघ । मेट देथे सब रोग
धन-सुख देथे बिसार । नाम जपे ना तुहार
जउन करे नाम जाप । ओखर तो भुजा आप
करके तोरे धियान । निर्धन हे धनवान
बिसरय मत तोर नाम । दया करहुँ मोर ष्याम