रविवार, 7 नवंबर 2021

कुन्ती के द्वारा भगवान के स्तुति

 

(लीला छंद)

आघु कथा कहय सूत । कृश्ण माया अवधूत

जब कृश्ण गर्भ बचाय । उत्तरा माथ नवाय


जानय कृश्ण उपकार । पाण्डव करय जयकार

कुन्ती माथा नवाय । हाथ जोड़ स्तुति सुनाय


हे आदि पुरूश सुजान । हे भगतन के मितान

घट-घट मा तोर वास । चराचर तोर उजास


अंदर बाहिर समान । तहीं रहिथस भगवान

अंधियारी मन घूप । जानय ना तोर रूप


जानय ना तोर गेह । आँखी जे हमर देह

तोर भाखा भगवान । सुन सकय न हमर कान


कर्ता तहीं हस एक । सब काम करथस नेक

कठपुतली हमन आन । डोरी रखे तैं तान


जइसे मनखे गवार । नट के पावय न पार

जोकड़ जब करय साज । जनाय न ओखर राज


अइसे तोर पहिचान । जानेंव ना भगवान

मैं अबला नारि जात । कइसे ये पार पात


जय जय हे वासुदेव । तोरे मैं करँव सेव

तोरे माया कमाल ।  ब्रम्हा होय नाभि नाल 


मनभावन रूप तोर । तहीं हस अपने जोर

टोटा मा कमल हार । देखते रहँव निहार


आँखी जस कमल नील । दया के सागर झील

तोर पॉंव कमल छाप । मेटय सबो परिताप


घेरी-घेरी प्रणाम । हे प्रभु मधुसुदन ष्याम

मारे तैं दुश्ट कंस । मेट वासुदेव दंष


देवकी पीर मिटाय । कंस कैद ले छुड़ाय

पाण्डव मन ला बचाय । हमरे स्वामी कहाय


आप सर्वषक्तिमान । कइसे होवय बखान

भीम जहर ले बचाय । आगी ला तैं बुताय


द्रोपदी लाज बचाय । महभारत तैं जिताय

परिक्षित प्राण बचाय । हमर सबो दुख मिटाय


दुख रहय आवत जात । उठे रहय तोर हाथ

तोर दरष हे अमोघ । मेट देथे सब रोग


धन-सुख देथे बिसार । नाम जपे ना तुहार

जउन करे नाम जाप । ओखर तो भुजा आप


करके तोरे धियान । निर्धन हे धनवान 

बिसरय मत तोर नाम । दया करहुँ मोर ष्याम


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कुन्ती के द्वारा भगवान के स्तुति

  (लीला छंद) आघु कथा कहय सूत । कृश्ण माया अवधूत जब कृश्ण गर्भ बचाय । उत्तरा माथ नवाय जानय कृश्ण उपकार । पाण्डव करय जयकार कुन्ती माथा नवाय । ...

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