रविवार, 4 फ़रवरी 2018

शौनक आदि द्वारा सूतजी के प्रार्थना

(गंग छंद)
मन श्याम राखे । शुक व्यास भाखे
सुन एक बेरा । ऋषि करिन डेरा
हरि क्षेत्र आके । सब जुरीयाके
भगवान पाये । यज्ञे रचाये
कर सूत पूजा । विधि कई दूजा
सब हाथ जोरे । मन गांठ छोरे
शुभ प्रश्न पूछे । मन जेन रूचे
हे सूत देवा । धर हमर सेवा
हस वेद ज्ञाता । अउ पुण्य दाता
कलिकाल घोरे । बड़ पाप जोरे
विधि कोन अच्छा । जे करय रक्षा
ओ कथा दे दौ । ओ रीति दे दौ

(निधि छंद)
सुन ऊंखर बात । सूतजी अघात
सुन लौं मन लाय । गुरू जेन बताय
लइकापन आय ।  शुक जंगल जाय
ले बर सन्यास । मन भरे उजास
देखय जब बाप । सह सकय न ताप
शुक-शुक चिल्लाय । बेटा ल बलाय
षुक सुनय न बात । अपन धुन म जात
शुक ल रमे जान । पेड़ मन तमाम
बोलय सुन व्यास । छोड़व अब आस
बोलत हे सूत । शुकजी अद्भूत
ओ शुक के पाँव । मैं माथ नवाँव
हे नेक सवाल । प्रभु कथा कमाल

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