रविवार, 1 दिसंबर 2019

भीष्म पितामह के प्राण त्यागना


 भीष्म पितामह के प्राण त्यागना  
(लीला छंद)


आघु कथा कहय सूत । गंगा के रहिस पूत
भीष्‍मपिता रहय नाम । जे सुग्घर करय काम

वो महाभारत युद्ध । लड़े रहिस होय कु्रद्ध
अर्जुन के लगे बाण । भीष्‍म देह फँसे तान

बाण बिछौना समाय । कृष्‍ण ध्यान वो लगाय
कृष्‍ण  बने समय जान । भगतनके करय मान

पाण्डव मन ला बलाय । अपने संगे चलाय
जिहां भीष्‍म सोय बाण । मन मा धर कृष्‍ण  ध्यान

ऋि‍षि नारद आय व्यास । अउ विश्‍वामित्र खास
देखय जब भीष्‍म श्‍याम । सुरता वो करय काम

रथ चक्का धरिस श्‍याम । अपने प्रण तजे नाम
भक्त वत्सल भगवान । भक्त के राखय मान

भीष्‍म कहय जोड़ हाथ । अंत समय तोर साथ
छोड़हुँ अब अपन देह । अंतस धर तोर नेह

अंत समय दरस तोर । बड़े भाग्य हवय मोर
कहिते-कहत तन छोड़ । चलदिस ओ मुँह ल मोड़

करके दाहसंस्कार । पाण्डव करिन आभार
शुरू करिन अपने राज । सुख मा राखय समाज

देके अब राजपाठ । कृष्‍ण चले पुरी बाट
पाण्डव भज श्याम-श्याम । करय अपन राज काम
-रमेश चौहान

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